अवसर की पहचान | दो लघु शिक्षाप्रद कहानियाँ

हमारी परेशानी की सबसे बड़ी वजह यह है कि हमें अवसर की पहचान नहीं है । हममें से अधिकांश लोग या तो भूत में जीते है या भविष्य में और इसी कश्मकश में वह वर्तमान का आनंद नहीं ले पाते है । आज को आज ही यदि अच्छे से जिया जाये तो आनेवाला कल अपने आप अच्छा हो जाता है । यह सार्वत्रिक सत्य है । इसे एक दृष्टान्त से समझते है ।

अँधेरे को क्यों देखता है ? – Short Story

एक बार एक शिष्य ने अपने गुरु से पूछा कि – “ गुरुदेव ! मैं आनंदपूर्वक अपने परम लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता हूँ ?” गुरूजी ने रात्रि में जवाब देने का आश्वासन दिया । शिष्य रोज शाम को नदी से गागर भर लाता था, लेकिन गुरूजी ने उसे उसदिन शाम को गागर लाने से मना कर दिया ।

रात्रि हुई, शिष्य ने गुरुदेव को याद दिलाया । गुरूजी ने शिष्य को एक लालटेन थमाया और कहा – “ जाओ ! पहले नदी से यह गागर भर लाओ ।”

उसदिन अमावस्या की घोर काली रात थी । अँधेरे में अपने ही हाथ पैर नहीं दिखाई दे रहे थे । इसपर भी वह व्यक्ति कभी इतनी अँधेरी रात में बाहर नहीं निकला था । अतः उसने कहा – “ गुरूजी ! नदी तो यहाँ से बहुत दूर है और इस लालटेन के प्रकाश में तो केवल दो कदम तक ही स्पष्ट दिखाई देता है, भला मैं इतना लम्बा सफ़र अँधेरे में कैसे तय करूँगा ? आप सुबह तक प्रतीक्षा कीजिये, मैं गागर सुबह भर लाऊंगा ”

गुरूजी बोले – “ हमें जल की आवश्यकता तो अभी है और तूम सुबह लाने की बात कर रहे हो । जाओ ! गागर भरकर लाओ ।”

दीनभाव से शिष्य बोला – “ गुरूजी ! अँधेरे में जाना संभव नहीं ।”

गुरूजी बोले – “ अरे मुर्ख ! अँधेरे को क्यों देखता है ? रौशनी को देख और आगे बढ़ । रौशनी तेरे हाथों में है और तू अँधेरे से डर रहा है ।”

गुरूजी के ऐसे वचन सुनकर शिष्य आगे बढ़ा तो प्रकाश भी आगे बढ़ गया । बस फिर क्या था । शिष्य लालटेन लेकर आगे बढ़ता रहा और नदी तक पहुँच गया और गागर भरकर लौट आया ।

शिष्य बोला – “ ये लो गुरूजी ! आपका गागर भर लाया, अब दो मेरे सवाल का जवाब ।”

तब गुरूजी बोले – “ मैंने तेरे सवाल का जवाब दे दिया लेकिन शायद तेरे समझ नहीं आया तो सुन –  यह दुनिया एक अँधेरी नगरी है, जिसमें हर एक क्षण एक लालटेन की रोशनी की तरह मिला हुआ है । अगर उस हर एक क्षण को साथ लेकर चलेंगे तो आनंदपूर्वक अपनी मंजिल तक पहुँच जायेंगे । किन्तु यदि भविष्य के अंधकार को देखकर अभी से खबरा जायेंगे तो कभी – भी अपनी मंजिल तक नहीं पहुँच पाएंगे ।”

इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें भी भविष्य की कठिनाइयों को देखकर परेशान होने के बजाय, मिले हुए वर्तमान के क्षणों का सदुपयोग करना चाहिए ।

जीवन के हर क्षण का सदुपयोग करने में ही बुद्धिमता है । जो लोग किसी दैवी सुअवसर की प्रतीक्षा करते है, अक्सर उन्हें निराश होना पड़ता है । इसी सन्दर्भ में एक कहानी इस प्रकार है –

जीवन अवसरों का उपहार है – शिक्षाप्रद कहानी

एक बार एक नवयुवक को गाँव के एक किसान की लड़की से प्रेम हो गया । बात इतनी आगे बढ़ गई कि लड़की के पिता तक पहुँच गई । लड़की के पिता ने युवक से मिलने की इच्छा व्यक्त की ।

दुसरे ही दिन वह नवयुवक लड़की के घर पहुँचा । पिता ने उस आशिक को ऊपर से नीचे तक देखा और कहा – “ मेरी बेटी से प्रेम करते हो ?” युवक ने हाँ में जवाब दिया । पिता – “ शादी करना चाहते हो ?” युवक ने फिर हाँ में जवाब दिया ।

पिता ने कहा – “ अच्छा ठीक है, तुम्हे एक काम करना होगा, मैं एक – एक करके अपने तीन बैल छोडूंगा । यदि तूम तीनों में से किसी एक की भी पूंछ पकड़ लेते हो तो मैं ख़ुशी – ख़ुशी तुम्हारी शादी अपनी बेटी से कर दूंगा ।” युवक राजी हो गया ।

किसान नवयुवक को अपने खेत पर ले गया और बैल के बाड़े के सामने खड़ा कर दिया । युवक पूंछ पकड़ने के लिए तैयार था । किसान ने पहला बैल छोड़ा । युवक ने जैसे ही विशालकाय बैल को देखा, उसकी आंखे फटी की फटी रह गई । उसने सोचा – “ इससे पंगा नहीं लेना चाहिए ।” और वह दुसरे बैल के आने की प्रतीक्षा करने लगा ।

जैसे ही दूसरा बैल निकला वह पहले बैल से ज्यादा खतरनाक था । उसके नुकीले सिंग देखकर युवक डर गया और सोचने लगा – “ इससे तो पहला वाला ही सही था ।” लेकिन अब क्या ! वह तीसरे की प्रतीक्षा करने लगा और सोचने लगा कि “ अब कुछ भी हो, इस आखिरी की पूंछ जरुर पकड़ लेगा ।”

तभी तीसरा बैल भी बाड़े से बाहर निकला । जो कि एकदम दुबला – पतला था । उसे देखकर युवक ख़ुशी से उछल पड़ा । वह मन ही मन सोच रहा था कि – “ अब तो शादी होने से कोई नहीं रोक सकता ।” वह पूंछ पकड़ने के लिए आगे बढ़ा तो पता चला कि उसके तो पूंछ है ही नहीं ।

दोस्तों ! हम भी अक्सर इसी तरह अच्छे अवसर की प्रतीक्षा में मिलने वाले उपयोगी क्षणों की ओर कोई ध्यान नहीं दे पाते है और बाद में पछताते रहते है ।

जीवन को आनंदमय बनाने वाला यह सूत्र हमेशा याद रखे ।

“अच्छे काम को आज और अभी कर लेना चाहिए और बुरे काम को हमेशा कल पर टाल देना चाहिए ।” यदि आप इतना कर सके तो आप अपनी सम्पूर्ण जिन्दगी में हमेशा अच्छे काम ही करेंगे, बुरा काम कभी नहीं करेंगे ।

हर सुबह हमारे लिए एक कोरा कागज लेकर आती है, जिसे अवसर कहते है, हम जिस रंग से चाहे उसे भर सकते है । समय का चक्र कुछ इस तरह चलता है कि हर नया क्षण मिलने से पहले पुराना क्षण वापस ले लिया जाता है ।

इसीलिए कबीरदासजी कहते है –

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ।

पल में परलय होयरी, बहुरि करेगो कब ।।

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