February 2018

कर्म में अकर्म कैसे | विश्वामित्र और वशिष्ठ की कहानी

वैदिककाल की बात है । सप्त ऋषियों में से एक ऋषि हुए है महर्षि वशिष्ठ । महर्षि वशिष्ठ राजा दशरथ के कुलगुरु और श्री राम के आचार्य थे ।   उन दिनों महर्षि वशिष्ठ का आश्रम नदी के तट के सुरम्य वातावरण में था । महर्षि वशिष्ठ अपनी पत्नी अरुन्धती के साथ गृहस्थ जीवन की […]

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युधिष्ठिर का स्वर्गारोहण | पांडवो के विकर्म का फल

दुर्योधन की जिद के रहते पाण्डवों ने कोरवों का सफाया कर दिया । महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ और युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हो गया । राज्य में नये राजा के आने की ख़ुशी में उत्सव तो मनाये गये लेकिन इस महाभारत के असली सूत्रधारों के मन विषाद से भरे हुए थे ।   पाण्डवों को

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ययाति और शर्मिष्ठा का एकांत मिलन

राजा ययाति, देवयानी से विवाह करके शर्मिष्ठा को साथ लिए अपनी राजधानी लौटे । वहाँ पहुंचकर राजा ययाति ने देवयानी को अपने अन्तःपुर में स्थान दिया तथा वृषपर्वा की पुत्री शर्मिष्ठा को अपने उद्यान में महल बनवाकर सभी सुविधाओं के साथ रखा । देवायनी अक्सर उद्यान में विहार के लिए शर्मिष्ठा के पास आ जाती

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शर्मिष्ठा और देवयानी की लड़ाई

देवयानी के पिता शुक्राचार्य राजा वृषपर्वा के गुरु थे और शर्मिष्ठा राजा वृषपर्वा की पुत्री थी । अतः देवयानी और शर्मिष्ठा दोनों सखी थी । एक बार की बात है कि देवयानी और शर्मिष्ठा अपनी सखियों के साथ एक उद्यान में खेल रही थी । एक राजकन्या तो एक ब्राह्मण कन्या दोनों ही अद्वितीय सुंदरी

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कच और देवयानी का प्रेम प्रसंग

असुरों से बार – बार युद्ध करके देवता बोखला चुके थे, क्योकि असुराचार्य शुक्राचार्य संजीवनी विद्या जानते थे । जिससे वह असुरों को मरने के बाद भी फिर से जिन्दा कर देते थे । इसलिए देवताओं ने षड्यंत्र करके अपने गुरु बृहस्पति से संजीवनी विद्या का तोड़ जानने का आग्रह किया । बृहस्पति ने अपने

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वासना की तृप्ति | राजा ययाति की कथा

महाभारत का एक पौराणिक कथानक है । अमरावती में चन्द्रवंश में राजा नहुष हुआ करते थे । राजा नहुष के छः पुत्र याति, ययाति, सयाति, अयाति, वियाति और कृति थे । याति प्रारम्भ से ही विरक्त स्वभाव के थे अतः महाराज नहुष ने अपने द्वितीय पुत्र ययाति को उत्तराधिकारी घोषित कर राजगद्दी पर बिठा दिया

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ज्ञानयोग और कर्मयोग का संयोग | वैराग्य की कहानी

आजकल अधिकांशतः देखने में आता है कि हर शहर, गाँव, गली और मुहल्ले में भागवत कथा और रामकथा का बोलबाला है । मैं नहीं कहता कि कथा करना गलत बात है, लेकिन ऐसी कथा भी किस काम की, जिससे लोगों के व्यक्तित्व में कोई परिवर्तन न हो ।   मात्र उपदेश सुनने से जन्म –

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सावित्री और सत्यवान की कथा

सावित्री और सत्यवान की कथा महाभारत के वनपर्व में मिलती है जिसमें युधिष्ठिर मार्कंडेय ऋषि से पूछते है कि “ क्या द्रोपदी के समान पतिव्रता नारी कोई हुई है ?”   तब मार्कंडेय ऋषि युधिष्ठिर को यह कथा सुनाते है ।   प्राचीन समय की बात है । दक्षिण में अश्वपति नाम का एक राजा

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अपूर्व संयम और सहिष्णुता की कहानी

अपने कुशल प्रशासन और बोद्ध धर्म के प्रचारक के रूप में सम्राट अशोक इतिहास प्रसिद्ध है । उनके दो रानियाँ थी – देवी, पद्मावती, कारुवाकी और तिष्यरक्षिता । सम्राट अशोक को रानी पद्मावती से एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जिसका नाम राजकुमार कुणाल रखा गया । राजकुमार कुणाल बड़े ही विनम्र, आज्ञाकारी और पितृभक्त

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आत्मज्ञान का स्वाद | दूध की मिठाई की कहानी

एक बार एक पंडित जी हीरापुर नाम के गाँव में शादी करवाने जा रहे थे । रास्ता लम्बा था और पंडित जी के पास कोई साधन भी नहीं था । पंडित जी बूढ़े भी हो चले थे, इसलिए जगह – जगह पेड़ों की शीतल छाव में विश्राम करते हुए जा रहे थे ।   पंडित

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