February 2018

अर्जुन की निष्ठा | महाभारत की कहानी

महाभारत का एक प्रसंग है । तब पांडव अज्ञातवास काट रहे थे । पृथापुत्र अर्जुन का नियम था कि वह प्रतिदिन भगवान शिव का पूजन करके ही भोजन ग्रहण करते थे । इसके साथ ही सभी पांडव भाइयों का नियम था कि एक साथ ही भोजन करेंगे । एक दिन भोजन का समय हो चला […]

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डाकू रत्नाकर और देवर्षि नारद की कहानी

एक पौराणिक कथानक है । एक समय की बात है रत्नाकर नाम का एक डाकू (दस्यु) हुआ करता था । अपने परिवार के भरण पोषण के लिए रत्नाकर चोरी, लूटपाट और राहगीरों की हत्या भी करता था । एक बार एक श्रेष्ठी जंगल के रास्ते से पालकी में बैठकर जा रहा था । घने जंगलों

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दानवीर कर्ण की उदारता | महाभारत में कर्ण की कथा

महाभारत का दृष्टान्त है । एक बार भगवान श्रीकृष्ण पांडवो के बीच बातों ही बातों में कर्ण की दानवीरता और उदारता की बड़ी प्रशंसा कर रहे थे । कर्ण की प्रशंसा बार – बार सुन अर्जुन ईर्ष्या से जलने लगा ।   अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा – “ मधुसुदन ! आप जानते है

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मृत्यु से भय क्यों – राजा परीक्षित की कथा

सातवें दिन मरने वाले राजा परीक्षित को शुकदेवजी श्रीमद्भागवत सुना रहे थे । छः दिन हो चुके थे और अगले ही दिन राजा परीक्षित को तक्षक नाग डसने वाला था । छः दिन तक श्रीमद्भागवत सुनने के बाद भी राजा का शोक और भय दूर नहीं हुआ । राजा का विचलित मन देख शुकदेवजी ने

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दान का आनंद – राजा रन्तिदेव की कथा

कुछ लोगों में करुणा इस तरह समाई होती है कि उन्हें सभी प्राणियों में करुणानिधि दिखाई देते है । ऐसे ही एक महान राजा ने भारत वर्ष में जन्म लेकर इस धरा को धन्य किया है । राजा संकृति के पुत्र रन्तिदेव । राजा रन्तिदेव बड़े ही प्रतापी, साहसी, न्यायप्रिय, धर्मं परायण और दानी थे

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