February 2017

जीवन क्या है ? | आध्यात्मिक कहानियाँ

सूर्य की अरुणिमा पूर्व में छा चुकी थी । पक्षी अपने घोसले छोड़ कर वन की ओर गमन कर चुके थे । प्रातःकाल की मध्यम – मध्यम हवाएं प्रकृति में अपना मधुर संगीत बिखेर रही थी । इधर आचार्य आनंद अपने आश्रम में शिष्यों को जीवन विद्या सिखा रहे थे । सभी शिष्य आचार्य आनंद […]

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सफलता का रहस्य | शिक्षाप्रद कहानी

एक बार एक गाँव में अनंग नाम का एक बालक रहता था । एक दिन अनंग और उसके पिता एक बैलगाड़ी में अनाज लेकर नगर ले जा रहे थे । गाँव से कुछ दूर निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया एक गड्डे में धस गया । अनंग और उसके पिताजी ने बहुत कोशिश की,

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ब्रह्मचारी की परीक्षा | एक ब्रह्मचारी की कहानी

एक बार की बात है, कि महर्षि वेदव्यास अपने आश्रम में तरुण ब्रह्मचारियों को व्याख्यान दे थे । इस व्याख्यान के दौरान वे बता रहे थे, कि तरुण ब्रह्मचारियों को स्त्रियों से हमेशा सावधान और सतर्क होना चाहिए । क्योंकि काम का आवेग बहुत शक्तिशाली होता हैं । अतः किसी भी ब्रह्मचारी के शिकार हो

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एकलव्य की गुरु भक्ति | महाभारत की कहानी

महाभारत में एक प्रसंग आता है कि एक बार गुरु द्रोणाचार्य अपने शिष्यों के साथ जंगल में भ्रमण कर रहे थे । भ्रमण करते – करते उनके साथ आया हुआ एक कुत्ता जंगल में रास्ता भटककर वहाँ पहुँच गया, जहाँ एक काला सा भील बालक एकलव्य धनुर्विद्या का अभ्यास कर रहा था । कुत्ता एक

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उत्कृष्ट उद्देश्य – अध्यात्म साधना का तीसरा सिद्धांत

अध्यात्म साधना का तीसरा सिद्धांत हैं – उत्कृष्ट उद्देश्य । आध्यात्मिक साधनायें केवल उन्हीं लोगों की सफल होती हैं । जिनका उद्देश्य ऊँचा हो, जो सामान्य से अलग सोचते हो, जो देश धर्मं और संस्कृति के हित में सोचते हो । जो लोग अपनी कामनाओं और वासनाओं की मांग ईश्वर से करते हैं । वह पूरी ही हो

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परिष्कृत व्यक्तित्व – अध्यात्म साधना का दूसरा सिद्धांत

अध्यात्म साधना का दूसरा सिद्धांत है – परिष्कृत व्यक्तिव । आपने देखा होगा हम जब भी किसी नौकरी के लिए आवेदन करते हैं तो लिखित परीक्षा के पश्चात् हमें साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता हैं । क्यों ? क्योंकि हमें काम पर रखने वाला यह देखना चाहता हैं कि जिस काम के लिए हम इस आदमी को चुन रहे हैं

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अटूट श्रद्धा – विश्वास और समर्पण – अध्यात्म साधना का पहला सिद्धांत

हममें से अधिकांश शंकालु साधक देवताओं से मिन्नते पूरी कराने के लिए साधना तो करते हैं, किन्तु अपने अंतःकरण में इष्ट और साधना के प्रति श्रृद्धा और विश्वास उत्पन्न नहीं कर पाते । परिणामस्वरूप उनकी साधना कोरा कर्मकाण्ड बनकर रह जाती हैं । मनुष्य के पास श्रृद्धा की ऐसी शक्ति विद्यमान हैं कि वो भौतिक

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अध्यात्म का मूल उद्देश्य – आनंद की प्राप्ति

अध्यात्म क्या हैं ? यह जानने से पहले यह जानना जरुरी है कि “ क्या अध्यात्म हमारे लिए आवश्यक है अथवा नहीं ?” हमारे मन की संरचना इस प्रकार की है कि जब तक उसके सामने किसी वस्तु विशेष की महत्ता और उपयोगिता  को सिद्ध नहीं कर दिया जाता, तब तक वह उसे जानने, समझने

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अध्यात्म क्या है | आध्यात्मिक चिंतन

अध्यात्म क्या हैं ?  इस विषय पर चर्चा करने से पहले, मैं आपको यह बताना जरुरी समझाता हूँ कि अध्यात्म की जीवन में क्या आवश्यकता हैं ? मित्रों ! अगर हम अपने चारों ओर नजरें  दौड़ाये तो हमें ज्ञात होगा कि आज का इंसान आधुनिकता की ओर कितनी निर्ममता से दौड़ रहा हैं । इस आधुनिक इंसान की आस्थायें इतनी कमज़ोर

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