टेलिकाइनेसिस ( Telekinesis) की विधि – कैसे करें

Telekinesis = मतलब दूरस्थ वस्तु को अपनी मानसिक शक्ति से नियंत्रित करना ।

मित्रों हमें पता होना चाहिये कि हमारे देश में जन्में योग व अध्यात्म को विदेशों में पढ़ाया जा रहा हैं जबकि हम मुर्खों की तरह विदेशी संस्कृति का अनुकरण किये जा रहे हैं । क्या यह शर्म की बात नहीं हैं ? विदेशों में बहुत सी जगह Telekinesis की प्राईवेट व फ्री कक्षायें चलती हैं । जबकि हम लोग इन विषयों पर केवल बहस और चर्चा करके छोड़ देते हैं ।

मित्रों टेलेकिनेसिस के लिए सर्वप्रथम तीन चीज़ो पर ध्यान देना होगा

१• कॉन्सेंट्रेशन ( एकाग्रता )
२• इमॅजिनेशन & विज्यूलाइज़ेशन (कल्पनाशीलता )
३• प्राण उर्जा & प्रॅक्टीस (अभ्यास)

कॉन्सेंट्रेशन ( एकाग्रता ) – एकग्रता का मतलब् होता है , लम्बे समय तक एक ही विषय पर टीके रहना, telekinesis मे सफलता पाने के लिए एकग्रता का अभ्यास अच्च्छा होना चाहिए । इसलिए जो कोई भी मित्र इसका अभ्यास करना चाहते है ,उन्हे पहले अपनी एकाग्रता को बढ़ाना चाहिए, क्योंकि एकाग्र मन में जो शक्ति होती है वह अतुलनीय है |

एकग्रता को बढाने के वैसे तो कई तरीके है | फिर भी सुविधा की दृष्टि से कुछ तरीके नीचे दिए जा रहे है |
त्राटक :- त्राटक सबसे बाड़िया तरीका है….. 5 मिनट से लेकर 15 – 20 मिनट तक त्राटक किया जा सकता है . अब त्राटक मे भी कई प्रकार है… आप अपनी सुविधा अनुसार चुन सकते है ।

इमॅजिनेशन & विज्वलाइज़ेशन(कल्पनाशीलता) – इसमे हम जो कुछ भी सोचते है उसकी हूबहू तस्वीर अपने मानस पटल पर बनाना होता है और उसे महसूस करना होता है। इसको बढ़ाने के लिए रूप साधना का अभ्यास करना चाहिए , या फिर अपनी किसी यात्रा की कहानी अपने ही दिमाग़ में चलाना चाहिए | पूरा टाइम दे ओर एक एक पिक्चर को सही से बनाए | और इसके बजाय आप अपनी सुविधा अनुसार किसी भी ध्यान प्रक्रिया का अभ्यास कर सकते है |

प्राण उर्जा और अभ्यास – मित्रो इसके लिए प्राणाकर्षण प्राणायाम का अभ्यास करना होता है |

प्राणाकर्षण प्राणायाम

सबसे पहले एक शांत स्थान का चयन करें फिर किसी निश्चित आसान जो आपको उचित जान पडे , में बैठे ( सुखासन , सिद्धासन , पद्मासन )

फिर धीरे धीरे अपना ध्यान भ्रकुटी मे लाए ओर भावना करें की आप निखिल ब्रह्मांड में अकेले बैठे है | आपके चारो ओर नीले प्रकाश का ऑरा बना हुआ है ,आपके चारो और प्राण उर्जा का समुंदर लहरा रहा है ओर अब ध्यान सुर्य चक्र पर आ जाइये और अब श्वास के साथ भावना करें कि आप प्राण ऊर्जा को अपने सूर्या चक्र मे एकत्र कर रहे है । ध्यान रहे यह केवल सोचना ही नहीं बल्कि भावना मे महसूस भी होना चाहिए ……।
ऐसे ही अभ्यास करते करते 15 – 20 दिन मे इतनी प्राण उर्जा एकत्रित हो जाएगी की इसका अलग से प्रयोग किया जा सके ….।

प्राण उर्जा के शरीर में पृकट होने के चिन्ह :-

ध्यान के समय शरीर के बालों का खड़े हो जाना ।

ध्यान या २-३ किमी. पैदल चलने के बाद ,किसी चालक चीज को छुने पर करंट का झटका लगना ।

सर्दी में गर्मी और गर्मी में सर्दी को महसूस करना । सम्पूर्ण शरीर हमेशा ऊर्जावान रहना ।

टेलिकाइनेसिस अभ्यास – 15-20 दिन का नियमित ध्यान करने के बाद आप टेलेकिनेसिस का अभ्यास कर सकते है , इसके लिए शुरुआत मे सुबह का समय बेहतर है । अपने उपरोक्त प्रयोग से फ्री होने के बाद आसान पर बैठे ….

हाथो में एनर्जी का फ्लो कैसे करें

दोनो हाथ एक दूसरे के सामने लगभग 1 सेंटीमीटर की दूरी पर रखें ओर भावना करें की आपके हाथो मे एनर्जी फ्लो हो रही है , आपको ठंडा या गर्म महसूस होने लगेगा ,किसी को ठंडा ओर किसी को गर्म महसूस होता है , ओर फिर धीरे धीरे दूर, फिर पास लाए , फिर दूर ले जाए , दूरी बढ़ाते रहें जबतक कि दोनो हाथ एक दूसरे को आकर्षित करते रहें ….. जब यह दूरी बढ़कर 10 सेंटिमिटर हो जाए …..तो आगे बढ़े !

अब एक कोरा कागज को 4-5 सेंटिमिटर का वर्गाकार आकृति में काटें और उसके विपरित कोनों को आपस में मिलाते हुये एक ही दिशा में फोल्ड ( मोड़े ) करे । ,तो एक पिरामिड टाइप की शेप बन जाएगी ! (इसका चित्र पोस्ट के कमेंट में दिया गया है ) अब इसे किसी नुकीली वस्तु पर रख दे । ध्यान रहै कमरे की खिड़की दरवाजे बंद रहे , जिससे की वह स्थिर रहै ।

अब धीरे धीरे हाथो मे एनर्जी का फ्लो करके हाथ धीरे से उसके पास ले जाए ओर उसे आदेश करें दृढ़ संकल्प के साथ कागज को घूमने के लिए …… थोड़ी ही देर मे वो आपके अनुसार घूमने लगेगा ….. !!!

अगर नहीं घुमें तो परेशान होने की जरूरत नहीं , इसके और भी तरीके है । पर सबसे सरल यही होगा ।

आप इस प्रयोग के साथ मेरा विडियो देख सकते है !

मित्रो इस संपूर्ण प्रयोग के दौरान संयम से रहें …..वरना ये सब प्रयास बेकार हो जाएगा . अति किसी भी चीज़ की अच्छी नहीं होती !!!

इससे सम्बंधित कोई सवाल हो तो आप कमेंट में पूछ सकते है, धन्यवाद !

6 thoughts on “टेलिकाइनेसिस ( Telekinesis) की विधि – कैसे करें”

  1. Very good, I am impressed. Please write more experiments that we can do at home and know our progress in the meditation process.

  2. hi, very nice video and post.
    but i work on third eye practice from years.
    if u r interested in opening third eye so kindly read my blog
    anuragpowers.blogspot.com
    i am making a community of third eye opening practicsnors.

  3. Originally shared by स्वामी दीनदयालजी महाराज
    तपस्विनो दानपरा यशस्विनो
    मनस्विनो मंत्रविदः सुमंगलाः।
    क्षेमं न विन्दन्ति विना यदर्पणं
    तस्मै सुभद्रश्रवसे नमो नमः।।

    – श्रीमद्भागवत 2/4/17

    राजा परीक्षित ने श्रीशुकदेव जी से पूछा कि अनन्तशक्ति परमात्मा कैसे सृष्टि की उत्पत्ति, रक्षा एवं संहार करते हैं और वे किन-किन शक्तियों का आश्रय लेकर अपने-आपको ही खिलौने बनाकर खेलते हैं? इस प्रकार परीक्षित द्वारा भगवान की लीलाओं को जानने की जिज्ञासा प्रकट करने पर श्रीशुकदेव जी लीलापुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण की इस प्रकार से स्तुति करते हुए कहते हैं –

    “(भक्ति शून्य पुरुषों के सब साधन विफल होते हैं, यह दिखलाते हुए नमस्कार करते हैं) कृच्छ्रचान्द्रायणादि तप करने वाले, दानी, यशस्वी (कूपादि बनवाने वाले) मन को अपने वश में रखने वाले, मंत्रवेत्ता अर्थात योगी एवं सदाचारी , जिनके लिए अपने-अपने कर्मों का समर्पण किए बिना तप आदि का फल नहीं पाते हैं उन मंगलमय कीर्तिवाले भगवान को नमस्कार है।”

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