सच्चा देशभक्त कौन

आज वो हालात नहीं, ना ही हमारा वो नसीब है कि देश की आन – बान और शान पर बलिदान होकर देशभक्त कहला सके ।  वो समय गुजर चूका है और समय के साथ देशभक्ति की परिभाषा भी बदल चुकी है । आज के समय में देश के लिए जीना देशभक्ति है और वही सच्चा देश भक्त है जो देश के लिए जीता है ।

देशभक्ति हर किसी में नहीं हो सकती न ही हर कोई देशभक्त हो सकता है । यह त्याग और बलिदान का रास्ता है और इसपर विरले ही चलते है । जो चलते है, लोग उनके पदचिन्हों पर चलते है । देशभक्ति अपने आप में स्वाभिमान का प्रतिक है किन्तु हर चीज़ के कुछ फायदे तो कुछ नुकसान होते है । तो आइये जानते है कि अगर आप सच्चे देशभक्त बनना चाहते है तो आपको क्या फायदे और क्या नुकसान होंगे । इसी में आपको सच्चे देशभक्त के गुण और दोषों का ज्ञान हो जायेगा । उसके आधार पर आप अपना मूल्याङ्कन कर सकते है ।
 
अगर आप सच्चे देशभक्त बनना चाहते है तो आप स्वार्थी नहीं हो सकते । देशभक्ति का संचार आपके ह्रदय से स्वार्थ को निकाल फेंकेगा । अगर आप सच्चे देशभक्त बनना चाहते है तो आप बेईमान नहीं हो सकते, भ्रष्टाचार नहीं कर सकते । यदि आपने ऐसा करने की कोशिश भी की तो आपकी देशभक्ति आपकी जान निकाल देगी । हम जिस भारतमाता की जय करते है वो और कोई नहीं, हमारी देशभक्ति का मूर्तिमान प्रतीक है । हम देशभक्ति को, राष्ट्र भक्ति को देवी के रूप में पूजते है । उसकी अर्चना करते है । उसकी रक्षा का संकल्प लेते है । तन – मन – धन से उसकी सेवा में लग जाते है । इसी को राष्ट्र आराधना कहते है ।
 
सच्ची देशभक्ति केवल उत्सव और जयकारे लगाने में नहीं, बल्कि वो करने में है जिसकी देश को जरूरत है । आज जरूरत उन देशभक्तों के सपनो को अपना सपना बनाने में है जो ख़ुशी – ख़ुशी फांसी झूल गये । इस याद में कि मेरे देश में अब शांति की स्थापना होगी । अब कोई गरीब निर्धन और लाचार नहीं होगा । अब सबको सम्मान और अधिकार मिलेंगे । वो तो गये लेकिन क्या उनके सपने पुरे हुए ? क्या देश सच में आजाद हुआ ? यदि नहीं तो फिर अब ये हमारा काम है कि इस अधूरे कार्य को पूरा किया जाये । यही हमारी सच्ची देशभक्ति का परिचायक होगा ।
 
हम देश के लिए क्या कर सकते है ?

अगर प्रत्येक व्यक्ति स्वयं से यह प्रश्न करे तो भारत का हर नागरिक देशभक्त हो सकता है । यदि हम प्रतिदिन कुछ समय व्यक्तिगत स्वार्थ से हटकर सोचना शुरू कर दे तो हम देश के लिए बहुत कुछ कर सकते है । जैसे कवि वीर रस से पूर्ण कविताओं के माध्यम से युवाओं में देशभक्ति का संचार कर सकते है । लेखक अपनी लेखनी से इतिहास के पन्ने उनके सामने प्रस्तुत कर सकते है, जिनसे वो बचे हुए है । डॉक्टर सप्ताह में एक दिन निशुल्क चिकित्सा सेवा दे सकते है । अध्यापक शिक्षा के साथ संस्कार दे सकते है । गाँव का मुखिया प्रत्येक गाँव में व्यायामशाला और पुस्तकालय की व्यवस्था कर सकता है । जिससे देश के युवाओं को सही दिशाधारा मिल सके । जो अमीर है वो जरूरत मंद लोगों को सहायता कर सकते है । ऐसे सैकड़ो काम है जो आप और हम कर सकते है । यही सच्ची देशभक्ति है ।
 
केवल दुसरो के प्रति कुछ करना ही देशभक्ति नहीं बल्कि स्वयं को स्वस्थ, विचारवान और विद्वान बनाना भी देशभक्ति का ही एक अंग है । जो यदि हम ही योग्य न हुए तो किसी और की कोई सहायता भला कैसे कर सकेंगे । प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि नियमित आर्ष ग्रंथो का अध्ययन करे । अपने स्वास्थ्य को सही बनाये रखने के लिए प्रतिदिन व्यायाम, प्राणायाम और आसन आदि का अभ्यास करें । आहार से विचार और विचार से आचार का निर्माण होता है अतः शुद्ध और सात्विक आहार ही ग्रहण करें ।
 

मेरा ये प्रयास आपको कैसा लगा ? मुझे जरुर बताये और अपने विचार सुझाये जिससे हम अपने लेखो और अधिक स्पष्ट और उपयोगी बना सके ।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *