पूर्वजन्म का रहस्योद्घाटन | राजा भोज और हँसी का रहस्य

ऐतिहासिक किस्से कहानियों में राजा भोज के किस्से अक्सर सुनने को मिलते है । उन्हीं में से एक दृष्टान्त इस प्रकार है । एक बार की बात है कि राजा भोज को उनकी प्रिय रानी रगड़ – रगड़कर स्नान करवा रही थी । शीतल जल और रानी के कोमल हाथों का स्पर्श राजा भोज को बड़ा ही लुभावना और सुहावना लगता था । इसलिए वह लम्बे समय तक स्नान का आनंद लेते थे ।
 
एक दिन इसी तरह राजा भोज स्नान कर रहे थे कि अचानक महारानी को कुछ स्मरण हो आया और वह खिलखिलाकर जोर – जोर से हँसने लगी । राजा भोज रानी की इस असमय अकारण हंसी को देखकर भौचक्के रह गये । रानी को इस तरह रह – रह कर खिलखिलाता देख उत्सुकतावश राजा भोज ने आखिर पूछ ही लिया ।
 
राजा भोज बोले – “ क्यों प्रिये ! ऐसी क्या बात हो गई, जो आप इस तरह खिलखिलाकर अनवरत हँसे जा रही हो ?” थोड़ी देर तो रानी चुप रही लेकिन महाराज को जवाब नहीं देना, उनकी आज्ञा का उलंघन होता किन्तु इस असमय हंसी का रहस्य बताती तो भी समस्या खड़ी होने की आशंका थी । अतः चतुरता पूर्वक रानी बोली – “ मेरी हंसी का रहस्य तो आपको मेरी बहिन ही बता सकती है, जो निकटवर्ती नगर की महारानी है । आप उसी से पूछ लीजियेगा । मैं आपको बताने में असमर्थ हूँ ।”
 
रानी की ऐसी रहस्यमयी बातें सुनकर राजा की उत्सुकता और अधिक बढ़ गई । वे इस हंसी के पीछे छिपे रहस्य का उद्घाटन करने के लिए आतुर हो उठे । दुसरे दिन प्रातःकाल होते ही अपना घोड़ा तैयार किया और उस निकटवर्ती नगर की ओर चल दिए । शाम होते – होते वह उस नगर में पहुँच गये । राजा भोज के आगमन का समाचार सुनकर सबको बड़ी ख़ुशी हुई । सबसे कुशल समाचार पूछने के पश्चात् महारानी ने उन्हें एकांत महल में बुलाया ।
 
अपनी बहिन और राज व्यवस्था के हालचाल पूछने के बाद एकान्त देखकर महारानी ने एक नए रहस्यमयी प्रसंग पर चर्चा करनी शुरू कर दी । रानी बोली – “ अच्छा हुआ जो आप आज ही आ गये । आज एक बड़ी ही रहस्यमयी घटना घटने वाली है । कल सुबह, मैं एक पुत्र को जन्म दूंगी और रात्रि होते – होते बीमार होकर दुसरे दिन अपने प्राण त्याग दूंगी ।” राजा अभी एक पहेली तो सुलझा भी नहीं पाया था कि अब एक और पहेली उसके सामने थी । असमंजस में पड़ा राजा विचारों में उलझ गया ।
 
तभी राजा का असमंजस दूर करते हुए महारानी बोली – “ मैं जानती हूँ, महाराज ! आप मेरी बहन की हंसी का कारण पूछने आये है, किन्तु यह मैं आपको अभी नहीं बता सकूंगी । इसके लिए आपको कुछ समय प्रतीक्षा करनी पड़ेगी । मेरे मरने के दस दिन बाद मेरा पुनर्जन्म विदर्भ राजा की राजकन्या के रूप में होगा । जिस पुत्र को मैं कल जन्म दूंगी, अगले जन्म के बीस वर्ष बाद उसी के साथ मेरा विवाह होगा । उस विवाह में आप भी आना । तभी वधू बनकर मैं आपके रहस्य का रहस्योद्घाटन करुँगी । जिसे आप अभी जानने के लिए उत्सुक है । किन्तु आपको तब तक प्रतीक्षा करनी होगी ।” इतना कहकर रानी ने महाराज से वचन लिया कि वह यह बात किसी और से ना कहे ।
 
दुसरे दिन ठीक वैसा ही हुआ जैसा महारानी ने बताया था । पुत्र का जन्म हुआ और उसके थोड़े ही समय में रानी बुरी तरह से बीमार पड़ गई । आस – पास के सैकड़ो वैद्यो ने उसकी चिकित्सा की लेकिन कोई फायेदा नहीं हुआ । अंततः रानी की मृत्यु हो गई और पुत्र के आने की खुशियों से झूम रही नगरी का वातावरण मातम में बदल गया । नियति के इस खेल को राजा भोज समझ नहीं पाए और दुखी होकर वापस लौट आये । अब उन्हें हंसी का रहस्य जानने के लिए रानी के दुसरे जन्म लेने और विवाह करने  तक प्रतीक्षा करनी थी सो वह करने लगे ।
 
बिन माँ के बच्चे को पाल – पोसकर बड़ा कर लिया गया । वर्ष पर वर्ष बीते और आखिर बच्चे का विवाह तय हो गया । राजा भोज को तो कबसे इस शुभ घड़ी की प्रतीक्षा में थे । विवाह के समय राजा भोज भी उसमे शामिल हुए । वह अपने रहस्य का निराकरण करने का अवसर देख ही रहे थे कि नव वधु स्वयं ही एकांत में उनसे मिलने आ गई । महाराज की उत्सुकता को देखकर नव वधू मुस्कुराते हुए बोली – “ कारण तो मैं आपको पहले ही बता चुकी हूँ, लेकिन आपके लिए स्पष्ट कर देती हूँ – जो मेरे साथ हुआ, वही मेरी बहिन के साथ हुआ था ।”
 
इतना कहने पर भी राजा भोज नहीं समझे । वह आश्चर्य से नव वधू की ओर देखने लगे तो वह बोली – “ महाराज ! मेरी बहन अर्थात आपकी पत्नी पूर्वजन्म में आपकी माँ थी । बचपन में जब वह आपको नहलाती थी तो आप उसे बहुत परेशान करते थे । अब बड़े होने पर भी आपकी वही आदत देख वह खिलखिलाकर हँस पड़ी । आपके बडप्पन में बचपन की झलक ही उस असमय हँसी का रहस्य है ।”
 
राजा भोज बोले – “ बस इतनी सी बात के लिए मुझे इतनी प्रतीक्षा करवाई !”
 
नव वधू हँसते हुए बोली – “ महाराज ! यदि उस समय आपको यह बात बताई होती तो आप अपनी पत्नी में अपनी माँ को देखने लगते जिससे आपके दाम्पत्य जीवन के सम्बन्धो में हानि की आशंका थी । बस इसीलिए यह बात बताने में इतना विलम्ब किया गया ताकि पूर्वजन्म की स्मृतियाँ इस जन्म में समस्या उत्पन्न न करें ।”
 
कभी कभी सच्चाई को किसी निश्चित समय के लिए छुपाना भी जरुरी होता है । यहाँ भी कुछ ऐसा ही खेल खेला गया था । राजा भोज की माँ ही दूसरा जन्म लेकर उसकी पत्नी बनी थी । यह बात यदि उसे समय से पहले बता दी जाती तो हो सकता है उनके पति – पत्नी का सम्बन्ध माँ – बेटे का सम्बन्ध बन जाता, जो कि किसी भी तरह से उचित नहीं था । इसलिए कभी – कभी पूर्वजन्म के सत्यों का सामने न आना ही सही रहता है ।

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