आध्यात्मिक लेख

paramhansa vishuddhanand

स्वामी विशुद्धानन्द परमहंस के अद्भुत प्रसंग

बंगाल राज्य के वर्धमान जिले के बण्डूल में चट्टोपाध्याय वंश लम्बे समय से अतिथि सेवा और भक्ति के लिए प्रसिद्ध है । फाल्गुन मास का 29वा दिन था, वसंत का आगमन हो चुका था, जन्म जन्मांतरों के पुण्य फल का उदय हुआ था जो श्री अखिल चंद्र चट्टोपाध्याय और उनकी सहधर्मिणी देवी राजराजेश्वरी को भगवती […]

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सही गलत सुविचार

आस्तिक और नास्तिक में अंतर | आस्तिकता की कहानी

अगर “ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास” की दृष्टि से देखा जाये तो दुनिया में दो प्रकार के लोग होते है – एक आस्तिक, दूसरा नास्तिक । आस्तिक उसे कहते है जो ईश्वर के अस्तित्व को मानता है । इसके विपरीत नास्तिक उसे कहते है जो ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता । क्या ईश्वर का

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self enquiry

आत्मसमीक्षा का महत्त्व | दो चींटियो की कहानी

अक्सर लोग प्रश्न करते है कि आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए क्या करना होगा ? ऐसा क्या करें कि हम अध्यात्म को अपने जीवन में उतार सके ? आजका विषय न केवल इन दो प्रश्नों का उत्तर है बल्कि आध्यात्मिक जीवन का आधार स्तम्भ है । जीवन को आध्यात्मिक बनाने के लिए चार चीजों की

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गायत्री मन्त्र की विलक्षण शक्ति और लाभ

मन्त्र में अद्भुत शक्ति होती है । लेकिन मेरी यह बात केवल वही लोग समझ सकेंगे जिन्होंने मन्त्र शक्ति की विलक्षणता का या तो अपने जीवन में अनुभव किया है या फिर शास्त्रीय व धार्मिक दृष्टि से विश्वास करते है । कई बार मुझे ऐसे लोग मिल जाते है जो मन्त्र जप को बकवास बोलते

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दया का प्रदर्शन नहीं, पालन करें | दयालुता पर कहानी

एक राजा को दयालु और दानवीर कहलाने का बड़ा शौक था । दूसरों के मुख से आत्म प्रशंसा सुनने की उसकी ललक दिन – प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी । वह प्रतिदिन यश और प्रशंसा बटोरने के लिए कोई न कोई अनोखा कार्य करता था ।   एक दिन राजा नगर की सैर को जा

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कुण्डलिनी महाशक्ति का विज्ञान | स्थूल से सूक्ष्म की ओर

आज के समय में कुण्डलिनी महाशक्ति न केवल भारत में बल्कि विश्व के अधिकांश देशों में चर्चा का विषय बनी हुई है । इसकी महत्ता और उपयोगिता को देखते हुए, हर कोई जानना चाहता है कि “कैसे इस कुण्डलिनी रूपी सर्पिणी की पूंछ को पकड़कर अपने वश में किया जा सकता है ?”   कुण्डलिनी

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कभी इन्सान तो कभी शैतान क्यों ? आध्यात्मिक लेख

क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आप गुस्सा नहीं करना चाहते है फिर भी गुस्सा आ जाता है । ऐसा गुस्सा आता है कि आप कुछ ऐसा कर बैठते है, जिसके लिए बाद में केवल पश्चाताप के सिवाय कुछ नहीं किया जा सकता ।   क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि

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आध्यात्मिक डायरी कैसे लिखे

आध्यात्मिक डायरी लिखने के बारे में चर्चा करने से पहले आपको इसकी उपयोगिता जान लेना चाहिए । असल में हम वही कार्य करते है जिसे हम या तो उपयोगी समझे या फिर मनोरंजक। इन दो प्रकार के कार्य के अलावा ऐसा कोई कार्य नहीं जो एक सामान्य इन्सान करता होगा । फिर चाहे वह कार्य

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दर्शन और देखने में अंतर

दर्शन का क्या है ? एक दिन मेरे एक मित्र ने मुझसे कहा – “ चल मंदिर चलते है ?” मैंने कहा  – “ किसलिए ?” मित्र बोला  – “ दर्शन के लिए !” मैं बोला – “ क्यों ! कल ठीक से दर्शन नहीं किया था क्या ?” मित्र – “ तू भी क्या

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स्वाध्याय का महत्त्व और लाभ

स्वाध्याय का सीधा मतलब है – स्वयं का स्वयं के द्वारा अध्ययन । सामान्यतया हमारे साथ ऐसा होता है कि हम अपना अधिकांश समय दुसरे मनुष्यों तथा वस्तुओं का अध्ययन करने में निकाल देते है । परिणामस्वरूप हमारे पास स्वयं का अध्ययन करने के लिए समय ही नहीं बचता है । जब हम स्वयं को

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