May 2018

वासनाओं के आकर्षण से कैसे बचे | महर्षि कौत्स और कण्व की कहानी

वासना के आकर्षण के बारे में बात करने से पहले आइये हम जान लेते है कि आखिर वासना है क्या चीज़ ? हालाँकि अहसासों के स्तर पर आप वासना से भली प्रकार परिचित है लेकिन क्योंकि अहसासों को देखा और समझा नहीं जा सकता । इसलिए मैं आपके सामने वासना का एक ऐसा रूप प्रस्तुत […]

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लक्ष्मीजी कहाँ रहती है | लक्ष्मी मैया की कहानी

एक गाँव में एक बूढ़े सेठजी रहते थे । सेठजी के पास पुरखों का खूब सारा धन था और उनका व्यवसाय भी अच्छा चल रहा था । पुरे गाँव में सेठजी की अमीरी के चर्चे चलते थे । लेकिन सेठजी स्वभाव के बड़े ही नेक दिल और नम्र व्यक्ति थे । धन – धान्य से

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महाराजा शिवि की दयालुता | राजा शिबि और दो पक्षियों की कहानी

पुरुवंश में जन्मे उशीनर देश के राजा शिवि बड़े ही परोपकारी और धर्मात्मा थे । जो भी याचक उसने द्वार जाता था, कभी खाली हाथ नहीं लौटता था । प्राणिमात्र के प्रति राजा शिवि का बड़ा स्नेह था, अतः उनके राज्य में हमेशा सुख – शांति और स्नेह का वातावरण बना रहता था । राजा

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दया का प्रदर्शन नहीं, पालन करें | दयालुता पर कहानी

एक राजा को दयालु और दानवीर कहलाने का बड़ा शौक था । दूसरों के मुख से आत्म प्रशंसा सुनने की उसकी ललक दिन – प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी । वह प्रतिदिन यश और प्रशंसा बटोरने के लिए कोई न कोई अनोखा कार्य करता था ।   एक दिन राजा नगर की सैर को जा

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शाश्वत सुख – शांति और सफलता का रहस्य | प्रेरणादायक कहानी

एक बुजुर्ग किसान मनीराम के दो बेटे थे । नाम था संकल्प और विकल्प । जब किसान का अंत समय नजदीक आया तो सोचा संपत्ति का बंटवारा कर जाऊ, वरना बाद में ये दोनों लड़ेंगे । अतः बुजुर्ग किसान ने अपने दोनों बेटों में बराबर संपत्ति का बंटवारा कर दिया । बुजुर्ग किसान जल्द ही

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प्रेम की कीमत क्या है | एक प्रेम कहानी

एक गाँव में एक विद्वान ब्राह्मण रहता था । ब्राह्मण की धर्म पत्नी तो कुछ साल पहले एक बीमारी की चपेट में आकर परलोक सिधार गई । लेकिन ब्राह्मण की एक सुन्दर और सुशील बेटी थी, जिसका नाम चंद्रप्रभा था । ब्राह्मण अपनी बेटी से बहुत प्रेम करता था और वह उसके लिए एक योग्य

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टाइगर स्वामी की कहानी | संकल्पशक्ति की तीव्रता

बाघ स्वामी की कहानी परमहंस योगानन्द जी ने अपनी पुस्तक योगी कथामृत में इस कहानी का विस्तार से वर्णन किया, जो संक्षेप में आपके सामने प्रस्तुत है । यह बात परमहंसजी के बचपन की है, जब वह अपने हाई स्कूल के मित्र चण्डी के साथ अक्सर ऐसे विशिष्ट योगी और संतो से मिलने जाया करते

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कर्ण और अर्जुन की महानता | महाभारत के दो रोचक दृष्टान्त

अर्जुन की महानता महाभारत का एक दृष्टान्त है । एक बार कौरव सेना में कुछ बातचीत हुई, जिसकी सुचना कुन्तीनन्दन युधिष्ठिर के गुप्तचरों ने उनको दी । तब युधिष्ठिर ने सभी भाइयों को एकांत में बुलाकर कहा – “ कौरव सेना में नियुक्त मेरे गुप्तचरों ने समाचार दिया है कि गतदिवस रात्रि में दुष्टबुद्धि दुर्योधन

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अर्जुन को अप्सरा उर्वशी का शाप | अर्जुन की संयमशीलता

एक बार अर्जुन के पिता देवराज इंद्र की अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ अर्जुन से मिलने की इच्छा हुई । अतः उन्होंने अपने दिव्य रथ और मातलि के साथ अर्जुन को स्वर्ग में आने का आमंत्रण भेजा । इंद्रकुमार अर्जुन ने भी देवराज के आमंत्रण का सहर्ष स्वागत किया और स्नानादि से पवित्र होकर सैकड़ों

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गालव मुनि का हठ | राजा ययाति की पुत्री माधवी की कहानी

एक पौराणिक कथानक है । एक बार महर्षि विश्वामित्र सौ वर्षों तक एक जगह तपस्या में खड़े रहे । इस दौरान उनके शिष्य गालव मुनि ने महर्षि विश्वामित्र की सेवा – सुश्रूषा की । इससे महर्षि विश्वामित्र ने संतुष्ट होकर गालव मुनि से कहा – “ वत्स गालव ! अब मैं तुम्हें आज्ञा देता हूँ

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