अध्यात्म सिद्धांत

जैसा बोओगे वैसा काटोगे Moral Story

एक बार एक गाँव में कुछ मित्र मण्डली बनाकर बैठे थे । वह लोग ईश्वर के अन्याय पर चर्चा कर रहे थे । एक व्यक्ति बोला –“ भगवान कितना निर्दय है, उसे तनिक भी दया नहीं आती, कितने ही लोग भूकंप में मर जाते है, कितने ही बेघर हो जाते है, कितने ही अपंग हो […]

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परोपकार पर आधारित कहानी | Principle of Sharing Story in Hindi

बांटने का नियम एक बार की बात है । एक गाँव में मनोहर नाम का बालक रहता था । बहुत छोटा होने से मनोहर अभी स्कूल नहीं जाता था । इसलिए वह घर पर ही खेलता रहता था । मनोहर के माता – पिता का उस पर अधिक ध्यान नहीं था लेकिन उसके दादा जी

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आत्मा परमात्मा का मिलन संबंध

ईश्वर को लेकर लोगों की अजीब मान्यताएं है । कोई ईश्वर की मनुहार कर रहा है, उन्हें तरह – तरह के लोभ देकर बहलाने और फुसलाने की कोशिश करता है और फिर कहते है – “ यह भक्ति है ।” हो सकता है आपको बुरा लगे लेकिन यह भक्ति नहीं जालसाजी है । यह आपकी

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महर्षि पतंजलि अष्टांग योग क्या है

भारत में एक महान ऋषि महर्षि पतंजलि हुए है, जिन्होंने योग की व्याख्या के रूप में एक सटीक और प्रमाणिक शास्त्र योगदर्शन की रचना की । योगदर्शन बहुत ही महत्वपूर्ण और प्रमाणिक ग्रन्थ है । इसमें सरल, सटीक और सुस्पष्ट  वैज्ञानिक भाषा में योग के सिद्धांतों का निरूपण किया गया है । इसलिए यह ग्रन्थ

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साधना का रहस्य | Hindi Spiritual Story

एक समय की बात हैं कि एक गाँव में एक गरीब किसान सहदेव का परिवार रहता था । छोटे घर में कम जरूरते होने के कारण यह परिवार बहुत ही आनंद का जीवन व्यतीत कर रहा था । लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था । एक दिन अकस्मात अकाल मृत्यु के कारण सहदेव

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उत्कृष्ट उद्देश्य – अध्यात्म साधना का तीसरा सिद्धांत

अध्यात्म साधना का तीसरा सिद्धांत हैं – उत्कृष्ट उद्देश्य । आध्यात्मिक साधनायें केवल उन्हीं लोगों की सफल होती हैं । जिनका उद्देश्य ऊँचा हो, जो सामान्य से अलग सोचते हो, जो देश धर्मं और संस्कृति के हित में सोचते हो । जो लोग अपनी कामनाओं और वासनाओं की मांग ईश्वर से करते हैं । वह पूरी ही हो

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परिष्कृत व्यक्तित्व – अध्यात्म साधना का दूसरा सिद्धांत

अध्यात्म साधना का दूसरा सिद्धांत है – परिष्कृत व्यक्तिव । आपने देखा होगा हम जब भी किसी नौकरी के लिए आवेदन करते हैं तो लिखित परीक्षा के पश्चात् हमें साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता हैं । क्यों ? क्योंकि हमें काम पर रखने वाला यह देखना चाहता हैं कि जिस काम के लिए हम इस आदमी को चुन रहे हैं

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अटूट श्रद्धा – विश्वास और समर्पण – अध्यात्म साधना का पहला सिद्धांत

हममें से अधिकांश शंकालु साधक देवताओं से मिन्नते पूरी कराने के लिए साधना तो करते हैं, किन्तु अपने अंतःकरण में इष्ट और साधना के प्रति श्रृद्धा और विश्वास उत्पन्न नहीं कर पाते । परिणामस्वरूप उनकी साधना कोरा कर्मकाण्ड बनकर रह जाती हैं । मनुष्य के पास श्रृद्धा की ऐसी शक्ति विद्यमान हैं कि वो भौतिक

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