स्वाध्याय का महत्त्व और लाभ

स्वाध्याय का सीधा मतलब है – स्वयं का स्वयं के द्वारा अध्ययन । सामान्यतया हमारे साथ ऐसा होता है कि हम अपना अधिकांश समय दुसरे मनुष्यों तथा वस्तुओं का अध्ययन करने में निकाल देते है । परिणामस्वरूप हमारे पास स्वयं का अध्ययन करने के लिए समय ही नहीं बचता है । जब हम स्वयं को […]

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ईश्वर की मदद कैसे करें

ईश्वर की मदद ! क्या यह संभव है ? आपको आश्चर्य हो रहा होगा कि कितनी अजीब बात है “ जिससे सभी मदद मांगते है, जो सब पर कृपा बरसाता है । भला उसे किसी की मदद की क्या जरुरत हो सकती है ? और हम उसकी मदद कैसे कर सकते है ?”  जी हाँ

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भाग्य कैसे बदले | How to change Luck Hindi Story

अध्यात्म सागर के पाठकों के लिए आज हम लाये है, एक ऐसी कहानी, जो आपके सोचने का तरीका बदल सकती है । जो आपके भाग्य की दिशा धाराएँ बदल सकती है । जो आपके अन्दर भाग्य देवता को चुनौती देने का सामर्थ्य पैदा कर सकती है । यदि आपने उस राजकुमार से वह शिक्षा ली

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थकान उतारने का सबसे आसान तरीका

जिस तरह सामान्य जीवन में कार्य करने वाली सभी मशीने गर्म होती है, जैसे आपका मोबाइल फोन, लैपटॉप आदि । ठीक उसी तरह मानव शरीर के कलपुर्जे भी एक निश्चित समयान्तराल के पश्चात् गर्म हो जाते है और शरीर थकान का अनुभव करने लगता है । यह एक अलग बात है कि किसी को थकान

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शिवजी कहाँ से देते है – एक प्रेरणादायक कहानी

एक गाँव में भगवान शिव का परमभक्त एक ब्राह्मण रहता था। पंडितजी जब तक रोज सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यकर्मो से निवृत होने के पश्चात् भगवान शंकर का पूजन नहीं कर लेते, तब तक उन्हें चैन नहीं पड़ता था। जो कुछ भी दान दक्षिणा में आ जाता उसी से पंडित जी अपना गुजारा करते थे

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सामीप्य का लाभ | शिक्षाप्रद कहानियाँ

एक समय की बात है । एक नगर में एक ब्राह्मण रहता था । दिनभर ब्राह्मण एक गाँव से दुसरे गाँव और दुसरे से तीसरे गाँव भिक्षा के लिए जाता था । जो भी अन्न और धन उसे भिक्षा में मिल ता उसका एक हिस्सा अपने लिए उपयोग करता और बचा हुआ धन नगर के

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नरपिशाचिनी और राजकुमार | दादी माँ की कहनियाँ

बहुत समय पहले की बात है, सुंदर नगरी में सुकेतु नाम का एक राजा राज करता था । यथा नाम तथा रूप, सुंदर नगरी धन – धान्य तथा प्राकृतिक सोंदर्य से परिपूर्ण थी । राजा सुकेतु भी वीर, दानी, दयालु और धर्मपरायण था । उसका यश दूर – दूर तक फैला हुआ था ।  

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आत्मोन्नति का उपाय | शिक्षाप्रद कहनियाँ

एक गाँव में एक धनपति सेठ रहता था । सेठ बड़ा ही लोभी और लालची स्वभाव का था । दिन – रात अपना व्यापार बढ़ाने की योजनायें बनाता रहता था । किन्तु सेठानी बड़ी ही धर्म परायण और ईश्वर भक्त थी । वह अक्सर मन्दिर में सत्संग और प्रवचन में भाग लिया करती थी ।

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क्या भूत – प्रेत होते है ?

समाज में भूत – प्रेतों को लेकर बहुत सारी भ्रांतियां विद्यमान है । कभी – कभी तो किसी स्थान या व्यक्ति विशेष में भूत या प्रेतात्मा होने की घटना हर किसी के सुनने में आती है । कहीं – कहीं तो किसी औरत के डायन होने की बात भी सुनने में आती है । किसी

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आध्यात्मिकता की आवश्यकता

जब कभी कोई व्यक्ति आध्यात्मिकता की ओर बढ़ने लगता है तो उसके सांसारिक शुभचिंतक बहुत चिंतित हो जाते है । उन्हें लगता है कि लड़का भटक गया है, इसे नहीं रोका गया तो योगी, सन्यासी और साधू – महात्मा हो जायेगा । वे उसे समझाना शुरू कर देते है, ना मानने पर डांट और फटकार

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