महाभारत की कहानियाँ

कच और देवयानी का प्रेम प्रसंग

असुरों से बार – बार युद्ध करके देवता बोखला चुके थे, क्योकि असुराचार्य शुक्राचार्य संजीवनी विद्या जानते थे । जिससे वह असुरों को मरने के बाद भी फिर से जिन्दा कर देते थे । इसलिए देवताओं ने षड्यंत्र करके अपने गुरु बृहस्पति से संजीवनी विद्या का तोड़ जानने का आग्रह किया । बृहस्पति ने अपने […]

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सावित्री और सत्यवान की कथा

सावित्री और सत्यवान की कथा महाभारत के वनपर्व में मिलती है जिसमें युधिष्ठिर मार्कंडेय ऋषि से पूछते है कि “ क्या द्रोपदी के समान पतिव्रता नारी कोई हुई है ?”   तब मार्कंडेय ऋषि युधिष्ठिर को यह कथा सुनाते है ।   प्राचीन समय की बात है । दक्षिण में अश्वपति नाम का एक राजा

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अर्जुन की निष्ठा | महाभारत की कहानी

महाभारत का एक प्रसंग है । तब पांडव अज्ञातवास काट रहे थे । पृथापुत्र अर्जुन का नियम था कि वह प्रतिदिन भगवान शिव का पूजन करके ही भोजन ग्रहण करते थे । इसके साथ ही सभी पांडव भाइयों का नियम था कि एक साथ ही भोजन करेंगे । एक दिन भोजन का समय हो चला

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दानवीर कर्ण की उदारता | महाभारत में कर्ण की कथा

महाभारत का दृष्टान्त है । एक बार भगवान श्रीकृष्ण पांडवो के बीच बातों ही बातों में कर्ण की दानवीरता और उदारता की बड़ी प्रशंसा कर रहे थे । कर्ण की प्रशंसा बार – बार सुन अर्जुन ईर्ष्या से जलने लगा ।   अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा – “ मधुसुदन ! आप जानते है

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दान का आनंद – राजा रन्तिदेव की कथा

कुछ लोगों में करुणा इस तरह समाई होती है कि उन्हें सभी प्राणियों में करुणानिधि दिखाई देते है । ऐसे ही एक महान राजा ने भारत वर्ष में जन्म लेकर इस धरा को धन्य किया है । राजा संकृति के पुत्र रन्तिदेव । राजा रन्तिदेव बड़े ही प्रतापी, साहसी, न्यायप्रिय, धर्मं परायण और दानी थे

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सत्कर्म का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता | महाभारत की एक शिक्षाप्रद कहानी

सत्कर्मों का फल देर से मिलने की वजह से लोग अक्सर दुष्कर्मों को अपना लेते है । किन्तु ऐसा करने वाले हमेशा याद रखे “ अपने किये हुए कर्म का फल जीव अवश्य भोगता है ” ऐसा गीता में कहा गया है । “ सत्कर्म का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता ” यह इस छोटी

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