पौराणिक कहानियाँ

कर्ण और अर्जुन की महानता | महाभारत के दो रोचक दृष्टान्त

अर्जुन की महानता महाभारत का एक दृष्टान्त है । एक बार कौरव सेना में कुछ बातचीत हुई, जिसकी सुचना कुन्तीनन्दन युधिष्ठिर के गुप्तचरों ने उनको दी । तब युधिष्ठिर ने सभी भाइयों को एकांत में बुलाकर कहा – “ कौरव सेना में नियुक्त मेरे गुप्तचरों ने समाचार दिया है कि गतदिवस रात्रि में दुष्टबुद्धि दुर्योधन […]

कर्ण और अर्जुन की महानता | महाभारत के दो रोचक दृष्टान्त Read More »

अर्जुन को अप्सरा उर्वशी का शाप | अर्जुन की संयमशीलता

एक बार अर्जुन के पिता देवराज इंद्र की अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ अर्जुन से मिलने की इच्छा हुई । अतः उन्होंने अपने दिव्य रथ और मातलि के साथ अर्जुन को स्वर्ग में आने का आमंत्रण भेजा । इंद्रकुमार अर्जुन ने भी देवराज के आमंत्रण का सहर्ष स्वागत किया और स्नानादि से पवित्र होकर सैकड़ों

अर्जुन को अप्सरा उर्वशी का शाप | अर्जुन की संयमशीलता Read More »

गालव मुनि का हठ | राजा ययाति की पुत्री माधवी की कहानी

एक पौराणिक कथानक है । एक बार महर्षि विश्वामित्र सौ वर्षों तक एक जगह तपस्या में खड़े रहे । इस दौरान उनके शिष्य गालव मुनि ने महर्षि विश्वामित्र की सेवा – सुश्रूषा की । इससे महर्षि विश्वामित्र ने संतुष्ट होकर गालव मुनि से कहा – “ वत्स गालव ! अब मैं तुम्हें आज्ञा देता हूँ

गालव मुनि का हठ | राजा ययाति की पुत्री माधवी की कहानी Read More »

भगवान की माया | देवर्षि नारद की कहानी

एक बार नारदजी मृत्युलोक का भ्रमण कर रहे थे । मृत्युलोक में दुःख, शोक और संताप से पीड़ित मानवता को देखकर नारदजी बड़े दुखी हुए । वहाँ से नारदजी सीधे विष्णुलोक पहुँचे और भगवान विष्णु से बोले – “ प्रभु ! मृत्युलोक पर बहुत दुःख, शोक और संताप है । आप उनके कल्याण के लिए

भगवान की माया | देवर्षि नारद की कहानी Read More »

गौ वंश की महिमा | राजा दिलीप की कथा

रघुवंश का आरम्भ राजा दिलीप से होता है । जिसका बड़ा ही सुन्दर और विशद वर्णन महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य रघुवंशम में किया है । कालिदास ने राजा दिलीप, रघु, अज, दशरथ, राम, लव, कुश, अतिथि और बाद के बीस रघुवंशी राजाओं की कथाओं का समायोजन अपने काव्य में किया है । राजा दिलीप

गौ वंश की महिमा | राजा दिलीप की कथा Read More »

तप और तेज के नाश का कारण | तप पूंजी की महत्ता की कहानी

अध्यात्म विज्ञान के सिद्धांतों के अंतर्गत एक नियम यह भी है कि “तप से तेज की उत्पत्ति होती है” । यह बात सतयुग में जितनी सार्थक थी, उतनी ही आज भी सार्थक है । साधना के साथ जो संयम और नियम के कड़े प्रतिबंध लगाये गये है, वह तप के ही साधन है, जिनसे प्राण

तप और तेज के नाश का कारण | तप पूंजी की महत्ता की कहानी Read More »

धर्मपत्नी का त्याग महापाप | Importance of Wife Hindi Story

एक पौराणिक आख्यान है कि राजा उत्तानपाद के सुनीति और सुरुचि नामक दो रानियाँ थी । दोनों रानियों ने दो पुत्रों को जन्म दिया । रानी सुनीति के पुत्र का नाम ध्रूव और सुरुचि के पुत्र का नाम उत्तम रखा गया । कालांतर में ध्रूव ने राजमहल छोड़ दिया और तपस्या करने चला गया और

धर्मपत्नी का त्याग महापाप | Importance of Wife Hindi Story Read More »

पात्रता – एक अनिवार्य आवश्यकता | महर्षि कणाद और राजा उदावर्त की कहानी

आज हम जिस विषय पर चर्चा करने जा रहे है, उसकी किसी भी साधना की सफलता में बड़ी अहम् भूमिका है । उपासना और साधना में जितने भी कर्मकाण्ड किये जाते है, उन सबका मूल उद्देश्य केवल और केवल पात्रता का विकास है । अब आप सोच रहे होंगे कि ये पात्रता क्या बला है

पात्रता – एक अनिवार्य आवश्यकता | महर्षि कणाद और राजा उदावर्त की कहानी Read More »

प्रेय से श्रेय की ओर | याचक प्रेमी और प्रेमिका मधुलिका

एक ब्रह्मचारी का जीवन अथाह ज्ञान से संपन्न होता है, लेकिन उसमें भी अनुभव की कमी होती है । स्नातक कपिल की मनःस्थिति भी कुछ ऐसी ही थी । नित्य की तरह आज भी भिक्षु कपिल नगर में घूम – घामकर आया और नगरसेठ प्रसेनजित के द्वार आकर भिक्षा के लिए गुहार लगाई – “भवति

प्रेय से श्रेय की ओर | याचक प्रेमी और प्रेमिका मधुलिका Read More »

कर्म में अकर्म कैसे | विश्वामित्र और वशिष्ठ की कहानी

वैदिककाल की बात है । सप्त ऋषियों में से एक ऋषि हुए है महर्षि वशिष्ठ । महर्षि वशिष्ठ राजा दशरथ के कुलगुरु और श्री राम के आचार्य थे ।   उन दिनों महर्षि वशिष्ठ का आश्रम नदी के तट के सुरम्य वातावरण में था । महर्षि वशिष्ठ अपनी पत्नी अरुन्धती के साथ गृहस्थ जीवन की

कर्म में अकर्म कैसे | विश्वामित्र और वशिष्ठ की कहानी Read More »