प्रेरक प्रसंग

shivaji ko budhiya ki sikh

शिवाजी को बुढ़िया की सीख | शिवाजी महाराज के प्रेरक प्रसंग

एक बार शिवाजी युद्ध के दौरान बुरी तरह से थक गये । आस – पास कुछ न देख वह एक वनवासी बुढ़िया के घर में जा घुसे । बहुत भूख लगी थी अतः उन्होंने कुछ खाने के लिए माँगा । सैनिक समझकर बुढ़िया ने उनके लिए प्रेम पूर्वक भात पकाकर एक पत्तल पर परोस दिया […]

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शिवाजी की कहानियां

छत्रपति शिवाजी व समर्थ गुरु रामदास के प्रेरक प्रसंग

गुरुदेव की अमानत | शिवाजी का सन्यास छत्रपति शिवाजी अक्सर अपने गुरु समर्थ गुरु रामदास से मिलने जाया करते थे । समर्थ गुरु की मस्ती और आनंद को देखकर शिवाजी का मन भी कभी – कभी इस परेशानियों से भरे राजकाज से छुटकारा पाने को करता था । दिन दुगुनी रात चौगुनी समस्याओं से लड़ते

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paramhansa vishuddhanand

स्वामी विशुद्धानन्द परमहंस के अद्भुत प्रसंग

बंगाल राज्य के वर्धमान जिले के बण्डूल में चट्टोपाध्याय वंश लम्बे समय से अतिथि सेवा और भक्ति के लिए प्रसिद्ध है । फाल्गुन मास का 29वा दिन था, वसंत का आगमन हो चुका था, जन्म जन्मांतरों के पुण्य फल का उदय हुआ था जो श्री अखिल चंद्र चट्टोपाध्याय और उनकी सहधर्मिणी देवी राजराजेश्वरी को भगवती

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रामकृष्ण परमहंस का केंसर और माँ काली की कहानी

स्वामी रामकृष्ण परमहंस का आत्मवत्सर्वभूतेषु का विचार

स्वामी रामकृष्ण परमहंस न केवल दक्षिणेश्वर काली के पुजारी थे, बल्कि माँ काली के परमभक्त भी थे । वह अक्सर माँ काली के साक्षात् दर्शन करते थे, तथा उन्हें भोजन कराते थे । सौभाग्य से वही स्वामी विवेकानंद के गुरु भी हुए । एक बार की बात है । जब स्वामी रामकृष्ण परमहंस को गले

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sadhu sitting uder a tree

सच्चे गुरु की पहचान कैसे करें | राजा अजातशत्रु की कहानी

इस दुनिया में कितने ही सुख – सुविधाओं के साधन जुटा ले । एक न एक दिन तो मन उब ही जाता है । प्रत्येक मनुष्य के जीवन में एक समय ऐसा आता है, जब वह दुनिया से परे सोचने के लिए मजबूर हो जाता है । ऐसा ही समय एक बार महाराज अजातशत्रु के

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महात्मा बुद्ध का उपदेश | परमज्ञान की तीसरी मंजिल

एक बार एक नवयुवक ने आत्मबोध करने के लिए महात्मा बुद्ध से दीक्षा ली । उसने दीक्षा तो ले ली लेकिन कई दिन बीतने पर भी उसे आत्मबोध नहीं हुआ । प्रतिदिन वो बुद्ध के उपदेश सुन – सुनकर बोर होने लगा । आखिर एक दिन उसने सोचा कि “ ये सब पागल है जो

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संत तुकाराम के जीवन के प्रेरक प्रसंग

भगवान का दिया मिल बांटकर खाना चाहिए एक दिन संत तुकाराम किसी काम से बाजार जा रहे थे तो धर्मपत्नी ने बाजार से गन्ने लाने के लिए कहा । अपना काम निपटाकर गन्ने ख़रीदे और घर की ओर चल दिए । तुकाराम ने गन्ने लेकर गाँव में प्रवेश किया और गाँव के बच्चे मिलने लगे

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